सुबह का वक्त वाराणसी के एक छोटे से अनाथ आश्रम में काफी चहल-पहल थी क्योंकि आज इस अनाथ आश्रम में बहुत बड़ी हस्ती आने वाली थी क्योंकि यह पहली बार था जब कोई इतनी अमीर फैमिली आई हो इसलिए अनाथ आश्रम में सभी लोग फटाफट काम पर लगे हुए थे।
वही सारे बच्चों ने आज अच्छे-अच्छे कपड़े पहने हुए थे और उन्हें देखकर ऐसा लग रह रहा था मानो आसमान से फरिश्ते उतरकर जमीन पर आए हो वही उन सारे बच्चों में से तकरीबन 5 साल की एक छोटी सी लड़की जिसने व्हाइट कलर की फ्रॉक पहनी हुई थी।
उसने अपनी बालों की दो चोटियां बनाई हुई थी और वह किसी गुब्बारे की तरह गोलू मोलू लग रही थी और उसके गाल फूले हुए थे और उसकी आंखें ब्लू थी और वह लड़की किसी परी से कम नहीं लग रही थी क्योंकि वह लड़की का चेहरा गोरा गोल और उसकी आंखे बड़ी-बड़ी थी और उसकी आंखों का रंग ब्लू था और जब वह हस्ती थी तो ऐसा लगता था कि मानो कलिया खिलखिला रही हो।
वही वह लड़की अपनी फ्रॉक को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर गोल-गोल घूम रही थी तभी वहां पर काम करने वाली एक महिला उसे देखकर दूसरी औरत से कहती है "तुम्हें क्या लगता है कमला क्या अगर उस अमीर फैमिली को श्रद्धा पसंद आ गई तो क्या श्रद्धा उनके साथ जाएगी।"
वही दूसरी औरत जिसका नाम सुजाता था। वह कहती है "मुझे नहीं लगता कि यह यहां से जाना चाहती है क्योंकि हमने जब से इसे देखा है जब भी कोई फैमिली इसे अडॉप्ट करने आती है।"
तो वह उन्हें मना कर देती है वही कमल सुजाता को देखते हुए कहती है "मुझे लगता है वह अमीर फैमिली श्रद्धा को ही पसंद करेगी क्योंकि सारे अनाथ आश्रम में श्रद्धा सबसे क्यूट और छोटी है।"
श्रद्धा को देखकर तो कोई भी माता-पिता उसे अपने साथ ले जाना चाहेंगे। वही वह दोनों औरतें बात कर ही तभी उनके कानों में गाड़ियां रुकने की आवाज सुनाई देती है जिससे वह समझ जाती है कि जो फैमिली इस अनाथ आश्रम में आने वाली थी वह आ चुकी है वही अनाथ आश्रम में काम करने वाले सारे लोग।
उनके साथ जो अनाथ आश्रम की हेड थी वह बाहर की तरफ उसे फैमिली का स्वागत करने के लिए चली जाती है जो अनाथ आश्रम की हेड थी उनका नाम मारिया था जो कि लगभग 65 साल की एक बूढी औरत थी।
मारिया बहुत ही दयालु कीशम की औरत थी और वह सारे अनाथ आश्रम के बच्चों से बहुत ही प्यार करती थी मारिया ने अपनी पूरी जिंदगी इस अनाथ आश्रम की सेवा में बिता दीया था और इसलिए उसने शादी भी नहीं की थी वही मारिया जब बाहर पहुंचती है तो अनाथ आश्रम के सामने लगभग 6 बड़ी-बड़ी ब्लैक कलर की कारे खड़ी हुई थी।
जीसे देखकर ही यह पता लगाया जा सकता था कि अनाथ आश्रम में आने वाला इंसान कोई मामूली इंसान नहीं था वही उन सारी गाड़ियों में से सभी बॉडीगार्ड्स अपने हाथ में बंदूक पकडे हूई धीरे-धीरे कर कर नीचे उतरते हैं और एक बॉडीगार्ड जाकर बीच वाली कार का दरवाजा खोलता है।
दरवाजा खुलते ही उसमें से लगभग 67 साल की एक औरत नीचे उतरती है उसे औरत ने एक सफेद सिल्क की साड़ी पहनी हुई थी और उस औरत को देखकर ऐसा लग रहा था मानो वह औरत कहां की महारानी हो।
वही उस औरत ने अपने गले में मोतियों का हार पहना हुआ था और अपने बालों का जुड़ा बनाया हुआ था और वह जब बाहर आती है तो अपने बॉडीगार्ड्स को कुछ इशारा करती है वही बॉडीगार्ड उस औरत का इशारा समझ कर गाड़ियों मे रखें सारे सामान को एक-एक करके अनाथ आश्रम में ले जाने लगते हैं।
वही सभी आश्रम में काम करने वाले लोग अपने हाथ जोड़कर बॉडीगार को जाने का रास्ता दे देते हैं और साइड में खड़े हो जाते हैं वही वह औरत भी बॉडीगार्ड के साथ-साथ चलने लगती है और अपनी नजर इधर-उधर कर के कुछ ढूंढने लगते हैं वही सारे बच्चे अनाथ आश्रम के अंदर गार्डन एरिया में खेल रहे होते हैं।
वही एक छोटी सी बच्ची सब बच्चों से अलग अपनी फ्रॉक को अपने हाथों में लिए गोल-गोल घूम रही होती है और उस लड़की के पास करीबन 7 से 8 साल का लड़का खड़ा हुआ था और वह लड़का उस लड़की से कुछ कह रहा था वही वह लड़की उसे लड़के को कुछ कहता देख अपना सर हा में हिला देती है।
वही वह औरत मारिया के साथ मारिया के केबिन में चली जाती है वही मारिया उस औरत को कहती है मेडम सूर्यवंशी आपका हमारे अनाथ आश्रम में बहुत-बहुत स्वागत है मुझे तो यकीन नहीं होता कि आप जैसी प्रतिभाशाली औरत हमारे अनाथ आश्रम में आई है।
वही जो औरत आई थी उसका नाम अनुराधा सूर्यवंशी था जो की सूर्यवंशी फैमिली की मैन हेड थी क्योंकि उनके पति की मौत पहले ही हो चुकी थी और उनके ऐक ही बेटा था उनका नाम रघुवीर सूर्यवंशी था सारा बिज़नस मैसेज सूर्यवंशी मतलब की अनुराधा ही संभालती थी।
वही मारिया मेडम सूर्यवंशी से कहती है मेडम सूर्यवंशी आपने पहले ही हमारी अनाथ आश्रम की बहुत मदद की है आपके कारण ही हमारा अनाथ आश्रम चल रहा है अगर आप नहीं होती तो हमारे बच्चों का क्या होता वही अनुराधा जी मारिया से कहती है, "आप कैसी बात कर रही है अगर हमारे कारण कुछ अच्छा होता है।"
तो वह हम कैसे नहीं करते सभी को भगवान ने इतना काबील नहीं बनाया की किसी की मदद कर सके पर भगवान ने हमें सब कुछ दिया है इसलिए हम भी यह चाहते हैं कि हम सभी लोगों की मदद कर सके।
वही मारिया अनुराधा जी से कहती है मेडम सूर्यवंशी पर आप तो हमें हर साल पैसे भेज दिया करती थी पर आज आप खुद कैसे आई वहीं मेडम सूर्यवंशी मारिया को देखते हुए कहती है कि मैं हर साल आपको कुछ ना कुछ पैसे भेज दिया करती थी पर आज मुझे आपसे कुछ चाहिए वही मारिया चौक जाती है कि इतनी बड़ी घर की औरत उससे क्या मांगने वाली है।
वही अनुराधा जी मारिया से कहती है मुझे तुम्हारे अनाथ आश्रम से एक बच्चा चाहिए वही यह सुनकर मारिया खुश हो जाती है क्योंकि अगर इतनी बड़ी फैमिली में कोई बच्चा अडॉप्ट किया जाएगा तो उसे बच्चों की जिंदगी सुधर जाएगी और उसे बच्चों को भी एक अच्छी फैमिली का साथ मिलेगा वही अनुराधा जी मारिया के एक्सप्रेशन नोट कर रही होती है और फिर अनुराधा जी मारिया से कहती है मुझे तुम्हारे अनाथ आश्रम में से एक बच्चा अडॉप्ट करना है क्या तुम मुझे इसकी परमिशन दोगी?
वही मारिया यह सुनकर अपना सर हा में हिला देती है और तुरंत ही चेर से उठती है और कहती है आप मैडम चलिए मेरे साथ मैं आपको सारे बच्चे दिखाती हूं वही मारिया अनुराधा जी के साथ लेकर गार्डन एरिया में बहुत जाती है जहां सारे बच्चे खेल रहे होते हैं अनुराधा जी ने पहले से ही सारे बॉडीगार्ड को अनाथ आश्रम के बाहर जाने की इजाजत दे दी थी क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि बॉडीगार्ड के कारण बच्चों को परेशानी हो वही अनुराधा जी चलते-चलते सारे बच्चों को देख रही होती है।
उनकी नजर एक बच्ची पर पड़ती है जिसने व्हाइट कलर का फ्रॉक पहनना होता है और उसके गले में एक लॉकेट पहना होता है जिसे देखकर अनुराधा जी की आंखों में चमक आ जाती है और वह अपनी उंगली पॉइंट करके उस लड़की की तरफ इशारा कर देती है वही जब मारोया उनका इशारा पाकर सामने देखती है तो वह चौंक जाती है।
क्योंकि सामने और कोई नहीं बल्कि उनकी परी खड़ी थी परी और कोई नहीं बल्कि श्रद्धा ही थी क्योंकि मारिया श्रद्धा को प्यार से परी कह कर बुलाती थी क्योंकि श्रद्धा बिल्कुल परी जैसी दिखती थी वही मारिया बहुत नाराज हो जाती है क्योंकि वह परी से बहुत प्यार करती थी परी को अपनी बच्ची की तरह मानती थी इसलिए जब भी कोई फैमिली श्रद्धा को लेने आई थी तब मारिया का दिल घबराने लगता था अगर श्रद्धा इस अनाथ आश्रम से चली गई तो वह उसके बिना जी नहीं पाएगी।
वही श्रद्धा भी मारिया को छोड़कर जाना नहीं चाहती थी इसलिए जब भी कोई फैमिली उसे लेने आई थी वह मना कर देती थी वही अनुराधा जी अपने धीमे कदमों से चलते-चलते श्रद्धा के पास जाकर खड़ी हो जाती है और अपनी घुटनों के बल बैठकर कहती है बेटा क्या तुम मेरे साथ मेरे घर चलोगी?
वहीं जब श्रद्धा अनुराधा जी को देखती हैं तो उनसे एक अलग ही लगाव महसूस होता है जिससे श्रद्धा अनुराधा जी से कहती है "दादी आप कौन हो?"
वही जब अनुराधा जी श्रद्धा के मुंह से अपने लिए दादी सुनती है तो बहुत ही खुश हो जाती है और कहती है बेटा तुमने मुझे अभी तो बोला मैं तुम्हारी दादी हूं क्या तुम मेरे साथ चलोगे वहीं श्रद्धा उन्हें अपनी बड़ी-बड़ी आंखें किए हुए देखे जा रही थी वही अनुराधा जी श्रद्धा से कहती हैं बेटा अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें ढेर सारे खिलौने भी दे सकती हूं और ढेर सारी चॉकलेट्स भी तुम्हारे लिए खरीद सकती हू और तुम कहो तो मैं तुम्हें हर दिन घूमने भी ले जा सकती हूं वही यह सुनकर श्रद्धा की आंखों में चमक आ जाती है पर वह फिर कुछ सोचकर फिर अपना सर ना में हिला देती है ।।
वही अनुराधा जी हेरान हो जाती हैं क्योंकि अगर यह सब उन्होंने किसी और बच्चे को कहा होता तो वह तुरंत ही यहां से जाने के लिए राजी हो जाती पर श्रद्धा उन बाकी बच्चों की तरह नहीं थी।
वही मारिया श्रद्धा से बहुत प्यार करती थी वह जानती थी कि वह श्रद्धा को यहां पर सब कुछ नहीं दे सकती इसलिए वह अपने दिल पर पत्थर रखकर श्रद्धा से कहती है बेटा तुम्हें उनके साथ जाना चाहिए तुम्हें वह बहुत अच्छे से रखेंगी और तुमसे बहुत प्यार भी करेंगे वही मारिया की बात सुनकर श्रद्धा मारिया के पास जाती है और मारिया के पैरों से लिपट जाती है और कहती है नहीं मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी वही हमारी अभी अपने घुटनों के बल बैठ जाती है और श्रद्धा से कहती है बेटा जब तुम यहां से जाओगी तभी अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा कर पाओगी और फिर तुम जब बड़ी इंसान बन जाओ तो मुझसे मिलने आना और मुझे अपने साथ ले जाना।
तो क्या श्रद्धा अनुराधा जी के साथ चली जाएगी और क्या मारिया अपनी परी के बिना रह पाएगी जानने के लिए पढ़िए मेरी कहानी kyun dard hai tere ishq mian🥰😍😍🤩🤩🥰😍😍🤩🤩
Write a comment ...