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आदित्य का गुस्सा परी की क्यूटनेस

अनुराधा जी परी को अपनी गोद में उठा लेती है और फिर आदित्य के पापा रघुवीर जी के पास जाती है और कहती है कि परी इनसे मिलो यह है आदित्य और विहान के पापा उनका नाम रघुवीर सूर्यवंशी है वही परी जब रघुवीर जी को देखते हैं तो तुरंत ही उन्हें कहती है हेलो अंकल ।

जब रघुवीर जी परी को देखते हैं तो उन्हें परी के गाल खींचने का मन होता है वह तुरंत ही अपनी जगह से खड़े होते हैं और आराधना जी के पास आकर सीधा परी को अपने गोद में उठा लेते हैं और उसके गाल खींचते हुए कहते है अरे परी बेटा तुम इतनी क्यूट क्यों हो??

मुझे पहले से ही एक बेटी चाहिए थी पर कोई बात नहीं मेरी ख्वाहिश अब पूरी हो गई है क्योंकि मुझे तुम्हारे जैसी क्यूट और प्यारी बच्ची जो मिल गई है वही जब यह बात आदित्य सुनता है तो तुरंत ही अपनी आंखें बड़ी-बड़ी करके अपने पापा को देखने लगता है क्योंकि उसके पापा रघुवीर जी कम ही बोलते थे और उन्होंने आज तक इतनी नर्मी से कभी आदित्य और विहान से कभी बात नहीं की थी वही आदित्य और विहान अपना मुंह खोले अपने पापा को देख रहे होते हैं क्योंकि उनके पापा कैसे परी से प्यारी प्यारी बातें कर रहे होते हैं।।

जब रघुवीर जी बात कर रहे होते हैं कि तभी सुजाता जी उनके पास आते हुए कहती है अरे आप लाइए परी को मुझे दे दीजिए मैं उसे अपने रूम में नहला कर लाती हूं वही जब रघुवीर जी सुजाता जी की बात सुनते हैं तो तुरंत ही बोल पढ़ते हैं ठीक है तुम पहले परी को नहला दो फिर हम साथ में बैठकर परी को खाना खिलाएंगे वही सुजाता जी परी को लेकर अपने रूम में चली जाती है सोफे पर बैठी हुई आराधना जी तुरंत ही नौकरों को आवाज लगती है और कहती है मैंने तुम्हें जो काम करने के लिए दिया था तुमने वह काम पूरा किया ??

वहीं  सारे नौकरों में से एक नौकर जो कि सबका हेड था वह कहता है की मालकिन हमने बेबी का कमरा रेडी कर दिया है और उनकी जरूरत का सारा सामान वहां पर पहले से ही रख दिया है वही जब आराधना जी यह सुनती है तो तुरंत अपना सर हा में हिला देती है और कहती है ठीक है और तुम जाओ वही सारे नौकर  आराधना जी से अनुमति लेकर वहां से चले जाते हैं ।।

आराधना जी अपने घर के केयरटेकर को आवाज लगाते हुए कहती है रामू जल्दी आओ वहीं रामू जो की सूर्यवंशी फैमिली का पुराना नौकर और इस हवेली का केयर टेकर था वह दौड़ते हुए वहां आता है और कहता है।। "जी मालकिन "।।

वही आराधना जी रामू से कहती है राम तुम जाओ शेफ को बोल दो कि आज सारा खान परी के हिसाब से बनेगा और मैं तुम्हें अभी सारी डिशेस की लिस्ट दे देती हूं वह सारी डिशेस आज बननी चाहिए और मुझे उसमें कोई भी गड़बड़ी नहीं चाहिए वही रामू अपना सर हा में हिला देता है और तुरंत ही आराधना जी के पास से वह लिस्ट लेकर किचन की ओर चला जाता है।।

शाम के 7:00 सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे बीच वाली चेयर पर जो की हेड चेयर थी उसके ऊपर आराधना जी बैठी हुई थी और आराधना जी के बगल में उनका बेटा रघुनाथ जी बैठे हुए थे और वही रघुनाथ जी के बगल में उनकी पत्नी सुजाता जी बैठी हुई थी और सुजाता जी ने अपनी गोद में परी को बिठाया हुआ था क्योंकि जब से परी सूर्यवंशी हवेली में आई थी तब से परी को उन्होंने अकेला नहीं छोड़ा था और वह बार-बार परी को अपने गोद में उठाने का बहाना ढूंढती रहेती थी।।

"वही उनके बगल में बैठे रघुनाथ जी का भी कुछ यही हाल था वह भी परी को अपनी गोद में बिठाना चाहते थे पर उनकी पत्नी थी कि  परी को छोड़ ही नहीं रही थी".।

"वही परी अपनी आंखों में एक चमक लिए सारे डिशेज को देख रही होती है क्योंकि उसने आज से पहले इतना सारा खान और इतनी सारी वैरायटी नहीं देखी थी  वही परी की आंखों में चमक देखकर आराधना जी बहुत खुश होती है "।.

वही इस डाइनिंग टेबल पर कोई और भी था जो परी को अपनी जलती नजरों से देख रहा था और उसे घुरे जा रहा था वह और कोई नहीं बल्कि आराधना जी के साइड चेयर पर बैठा आदित्य था वही आदित्य के बगल में विहान बैठा हुआ था और वह भी खाना देखकर एक्साइटेड हो रहा था उसके लिए खाना सबसे इंपॉर्टेंट था विहान बहुत ही फुडी नेचर का था और उसे सब कुछ खाने में पसंद आता था

वही आदित्य खाने में बहुत ही चुजी था उसे जो पसंद आता था वह वही खाता था वही परी की नजर सामने बैठे हुए आदित्य पर जाती है तो वह आदित्य को घूरने लगती है।

"क्योंकि उसे आदित्य पर बहुत ही गुस्सा आ रहा होता है वह जब से आई थी तब से आदित्य उसके पीछे ही पड़ा हुआ था मैं आपको बतादु की परी दिखने में बहुत ही भोली भाली और मासूम थी पर असल में वह एक शैतान बच्ची थी अगर उसे कोई परेशान करता था तो वह उसे अच्छे से सबक सिखाती थीं"।

वहीं आदित्य तो उसे बिना गलती के ही उसे ऐसे घुरे जा रहा था और यह देखकर परी कैसे पीछे हट सकती थी वही परी भी अपनी आंखें आदित्य के आंखों में मिलाते हुए उसे घुरे जा रही थी वहीं जब आराधना जी यह देखी है तो तुरंत ही आदित्य से कहती है आदित्य तुम उसे क्यों घूर रहे हो"।

वही आदित्य जब आराधना जी की बात सुनता है तो तुरंत ही बोल पड़ता है दादी मैं तो उसे घुर नहीं रहा था मैं तो सिर्फ उसे देख रहा था क्योंकि परी कितनी गोलू मोलू है बिल्कुल गुब्बारे की तरह ।।

वही जब परी यह बात सुनती है तो तुरंत ही बोल पड़ती है मुझे भी  तुम मेरे पिल्लू की तरह लगते हो वही जब आदित्य परी की यह बात सुनता है तो कहता है यह पिल्लू कौन है"।

वही परी जोर-जोर से हंसती है और कहती है हमारा जो अनाथ आश्रम था उसके बाहर एक काले कलर का डॉगी रहता था जो मुझे बिना मतलब डराता रहता था।।

वही जब आदित्य  परी की यह बात सुनता है तो तुरंत ही आग बबूला हो जाता है और आदित्य कुछ कहने ही वाला था की आराधना की सुजाता जी और रघुवीर जी जोर-जोर से हंसने लगते हैं और कहते हैं परी तुम कितनी फनी हो वही परी कुछ नहीं कहती बस आदित्य को अपनी नीली आंखों से देखने लगती है वही आदित्य तो गुस्से का घूंट पीते हुए चेयर पर बैठा रहता है और मन ही मन सोचता है यह गुब्बारा कितना बदतमीज है मुझे तो लगता था कि यह बहुत ही मासूम और प्यारी है देखकर तो लगता ही नहीं की इतनी झगड़ालू होगी।। लड़ाकू काही की  ।।

वह मन में ही परी को कोश रहा होता है।। वही आदित्य के साइड में बैठा विहान भी जोर-जोर से हंसते हुए परी से कहता है परी तुम कितनी कुल हो क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी वही परी एक तक विहान को देख रही होती है और फिर कुछ सोचकर अपना सर हा में हिला देती है वही उतनी ही देर में तो विहान परी के पास आ जाता है परी का हाथ पकड़ कर  हाथ मिला  ने लगता।।

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